मंगलवार, 1 अप्रैल 2025

दुःख की लड़ी



#इन्दु_बाला_सिंह


बेटी ने अपनी असफलता का ठीकरा माँ पर फोड़ा 


बेटे ने अपनी पारिवारिक वैमन्ष्य का जिम्मेवार माँ को बताया 


माँ हाउस वाइफ ही रही 


होम मेकर न कहला पाई 


पति के लिये पत्नी बच्चे पैदा करनेवाली और कामवाली थी 


आख़िर कितना ज़िम्मा उठाना पड़ता था पति को 


अब गाँव नहीं कि घर के काम ज़्यादा थे 


शहर में रहती थी माँ 


सुविधाभोगी कहलायी सदा 


ख़ुद लड़ झगड़ के कमाने न निकल पड़ी 


पति के गुज़रने पर माँ अकेली हो गई 


और 


माँ के गुज़रने पर बेटा 


बेटी तो ब्याहता थी 


आबाद रही 


पर 


वह भी कमाऊ न बनी 


दुःख की लड़ी न काटी बेटी ने भी ।



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