- इंदु बाला सिंह
अपनी खुशी के पल में जिन बेटियों को अपने जन्मदाता नहीं याद रहते उन्हें क्या नाम दूं
मन में बस एक विचार आया ....
दूसरे पल मन सोंचा
अपनी खुशी के पलों में हम ईश्वर को भी तो भूल जाते हैं
दुख के पल ईश्वर बहुत याद आते हैं हमें ..
बेटी भूल जाती है अपने उन जन्मदाता को जिन्हें अपना वसीयतनामा लिखते समय अपनी बेटी नहीं याद रहती ..
तो बेटी तो क्षम्य ही है ...
बेटियों से इतनी आकांक्षा क्यों !
दूसरे पल मन सोंचा
अपनी खुशी के पलों में हम ईश्वर को भी तो भूल जाते हैं
दुख के पल ईश्वर बहुत याद आते हैं हमें ..
बेटी भूल जाती है अपने उन जन्मदाता को जिन्हें अपना वसीयतनामा लिखते समय अपनी बेटी नहीं याद रहती ..
तो बेटी तो क्षम्य ही है ...
बेटियों से इतनी आकांक्षा क्यों !
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