- इंदु बाला सिंह
आजीवन युद्ध चलता रहा उसका समय से
पर जीतते गये उसके अपने , रिश्तेदार ..
कौन कहता है बेटे और बेटी में फर्क नहीं है
अखबार तो बस अखबार ही है .....
घून लगा है परिवार में
लड़की की जड़ें खोखली हैं ...बाकी सब दिखावा है
जैसे देश आजाद हुआ था
एक न एक दिन खुद बखुद आजाद हो जायेंगीं
बेटियां ...
आत्मनिर्भर हो जायेंगी .... एक दिन बेटियां ।
आजीवन युद्ध चलता रहा उसका समय से
पर जीतते गये उसके अपने , रिश्तेदार ..
कौन कहता है बेटे और बेटी में फर्क नहीं है
अखबार तो बस अखबार ही है .....
घून लगा है परिवार में
लड़की की जड़ें खोखली हैं ...बाकी सब दिखावा है
जैसे देश आजाद हुआ था
एक न एक दिन खुद बखुद आजाद हो जायेंगीं
बेटियां ...
आत्मनिर्भर हो जायेंगी .... एक दिन बेटियां ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें