गुरुवार, 1 नवंबर 2018

आह...की आग

- इंदु बाला सिंह

दिल न दुखाना किसीका

क्या पता कब लग जाय  ...आह किसी की ।

क्रोध तो  विष है  ...धारण कर ले न .... तू  आज ..... उसे  निज  कण्ठ में

क्या पता कब .. नीला कर  दे ...वह तेरा  तन ।




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