Tuesday,
April 10, 2018
3:17 PM
-इंदु बाला
सिंह
सूरज निकला
धुंध हटी
दूर दूर तक
हृदय विदारक दृश्य था .....
धुंध में आस थी ....सपने थे ....
झुलसने लगा
पौधा ....
घबरा कर मैंने बादल का आह्वान किया
घबरा कर मैंने बादल का आह्वान किया
धुंध भली होती
है क्या ?
उठने लगा एक
प्रश्न .... मन में |
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