Wednesday,
April 04, 2018
6:54 AM
-इंदु बाला
सिंह
मुझे
बुखार है ...
मेरा दम फूल
रहा है ...
बेटा ! मैं
तुम्हारे पास आना चाहता हूं ......
वहीं इलाज
कराऊंगा .....
पिता ने कहा |
आ जाईये .....
बेटा मैं शाम
की ट्रेन से आऊंगा ....
कल तक पहुंच
जाऊंगा .....
और पिता चले
गये ....
गांव में
रहनेवाले अकेले पिता के लिये शहरी बेटे के घर में जगंह नहीं थी |
क्रिया कर्म
के लिये बेटा किराये की गाड़ी से गांव पहुंचा .....
बाप लावारिस
नहीं था ...
गांव में शहरी
आदमी की शान होती है |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें