Saturday,
April 21, 2018
8:26 AM
-इंदु बाला
सिंह
पारिवारिक
पुरुष मित्र के मन का सोया भेड़िया एक दिन जाग गया .....
वह
भोर के अंधियारे में माता पिता के बगल में सोयी छ: मास की बच्ची ले भागा ....
शारीरिक सुख लेने के बाद अभागे दम्पत्ति की बेटी पटक दी गयी ....
भला हो सी० सी० टी० वी० का जिसने पहचान करवा दी उस नर भेड़िये की .....
छ: माह की गुजर गयी बच्ची आज भोर की एक खबर भर थी ....
कल अन्य नव निर्माण की खबरों के साथ दूसरे बलात्कार की खबर मिलेगी अखबार में ...
और फिर बिलबिला कर कलम चलेगी किसी लेखक की ..........
गुजरी बेटी का परिवार.... रोज रात मर जाता है
न जाने कैसे जी उठता है वह ... हर दिन ....हर भोर ...
शायद उसे अपने दूसरे बच्चों के पेट की भूख ने जिन्दा रखा है |