Monday, June 5, 2017
7:46 AM
7:46 AM
- इंदु बाला सिंह
किया क्या मैंने
आजीवन ...चलती रही उम्मीद की उंगली थामे
भटकती रही वन में
खुद को छलती रही...
सोंचती रही ..नई राह बना रही हूं....
गजब का जीवन जिया मैंने ।
आजीवन ...चलती रही उम्मीद की उंगली थामे
भटकती रही वन में
खुद को छलती रही...
सोंचती रही ..नई राह बना रही हूं....
गजब का जीवन जिया मैंने ।
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