Thursday, June 15, 2017
10:06 PM
10:06 PM
- इंदु बाला सिंह
आंसू बहते रहे
मन न माना
वैराग्य न जागा
आशा की उंगली थामे हम चलते रहे
बस चलते रहे
यूँ ही निरुद्देश्य चलते रहे
स्वारथ के संसार में
ठगिनी आशा के मोह में बंधे रहे ।
मन न माना
वैराग्य न जागा
आशा की उंगली थामे हम चलते रहे
बस चलते रहे
यूँ ही निरुद्देश्य चलते रहे
स्वारथ के संसार में
ठगिनी आशा के मोह में बंधे रहे ।