Monday,
February 20, 2017
7:46 AM
-इंदु बाला सिंह
डायरी में
लिखी गयी
पिता के नाम
की चिट्ठियां
डाली
नहीं गयीं कभी डाकखाने में ....
भला
...कौन डालता उसकी चिट्ठियां ....
चिट्ठी तब तक
लिखी गयी ... जब तक आशायें जिन्दा रहीं
बाकी पन्ने
कोरे रह गये ......
लड़की तराशी जा
रही थी .... बड़े परिवारवाले अभावग्रस्त घर में |
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