बुधवार, 15 फ़रवरी 2017

पर्दा सी रहे हैं हम


- इंदु बाला सिंह
हम तो तब भी कसक रहे थे .... अब भी कसक रहे हैं 
मर्यादा ढो रहे हैं
किवाड़ के फटे पर्दे सी रहे हैं
वरना हम भी आदमी थे काम के ।

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