बेटी सेवा
करती माँ बाप की
रहती अपने
दुःख से दयनीय
मिली है
वसीयत पुत्र को
बहू सेवा
करती सास ससुर की
रहती
अपने सुख में सम्माननीय |
सेवा दोनों
करें
दोनों न पाते
श्रम का मोल
बेटी दबती
बहू कुढती
दोनों में न
होता कभी मेल
दोनों की
जरूरत है यही घर
और पड़ोसी को
नमक मिर्च लगा कथा सुनाती
घर
की नौकरानी (मालकिन ) |
क्या ही मस्त
रेडियो चलता पड़ोसी का
महिलाओं के
समूह में
यों ही बस
जीवन कटता
महिलाओं के
बात में घर के पुरुष क्यों दखल दें
घर में बैठ
कर खाती है
आपस
में लड़ती रहती हैं
वाह
री लड़की !
क्या
है तेरी जिंदगानी |
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