04.05.06
रात्रि के सन्नाटे में
कब तक कूदती रहेंगी
अनेकों यामिनियाँ कुंए और तालाबों में
और अपनी गलती से दिग्भ्रमित पिता
उसे पाने कूदेंगे उसी जल में |
जीने का हक़ है
हर यामिनी को अपनी मरजी से
हर पिता का फर्ज है
उसे जीने देना |
My 3rd of 7 blogs, i.e. अनुभवों के पंछी, कहानियों का पेड़, ek chouthayee akash, बोलते चित्र, Beyond Clouds, Sansmaran, Indu's World.