मंगलवार, 13 दिसंबर 2011

यामिनी (कन्या )


04.05.06

 

रात्रि  के सन्नाटे में
कब तक कूदती रहेंगी
अनेकों यामिनियाँ कुंए और तालाबों में
और अपनी गलती से दिग्भ्रमित पिता
उसे पाने कूदेंगे उसी जल में |
जीने का हक़ है
हर यामिनी को अपनी मरजी से
हर पिता का फर्ज है
उसे जीने देना |

बिटिया



         
 

तुम्हारी हँसीं
मेरे रसानंद का झरना है |
तुम्हारे आंसू
 मेरी अतृप्त आकांक्षाओं का रुदन है  |
तुम्हारे माथे का टीका
मेरे रण का विजय  तिलकहै  |
तुम्हारा आत्म्विश्वास से  दमकता चेहरा
मेरा सुखद अहसास है |
तुममें मैं हूँ
पर मुझमें तुम न बनना
मेरा मन स्वाभिमान
तुम हो |

आज भी है सती !


           
     

कहीं प्रियतम के इंतजार में
समय के लपटों में झुलसती स्त्री
तो कहीं
यमराज के इंतजार में
समस्याओं से जूझती झुलसती स्त्री |
सती तो दोनों ही हैं
पर ये हैं
सजीव प्रतिमा जीवित सती की 

बुधवार, 12 अक्टूबर 2011

नश्तर


०६.०८.०१       

                    
     
       ठीक तो है ..का नश्तर लगा कर तुमने
      फोड़  दिया पके फोड़े को .
      मवाद बह निकला .
      स्थान और काल लुप्त हो गए .
      दवाईयों पर जीती भौतिक सुख में डूबी दुनिया में
      स्वान्तःसूखाय के आदर्श में जीता मन 
     दुख धूप में तलाशने लगता है 
     एक आम की मुरझाई कोंपल को .
     जिसे पानी देना भूल गयी चेतना 
     पता नहीं कब से .
     छांव की तलाश में 
    चलते मन के थकते ही 
    हो जाती हैं आँखें सूनी   
   और बनने  लगता है 
   एक नया फोड़ा .
   अपनी ही पीठ पर लगा थपकी 
   कह उठता है  स्व.....  शुक्र है नासूर नहीं बना .
   अन्यथा दिमागी संतुलन न रहता .


       
         

धनी

               
        
       धनी है वो 
       जिसके पास स्वाभिमान है
       जिसने स्व को मार   दिया वह हो गया निर्धन 
       आत्मसंतोष देता है  
        दुनिया से विदा लेते वक्त सकून.
       ग्लानि तड़पाती है 
      आत्मिक सुख से बढ़ कर कुछ नहीं 
      भौतिक सुख देता है  ईर्ष्या .
      बांध धन गठरी में 
      किस सोंच में तू मन .
      तू भी बन धनी.

जहाँ चाह है वहाँ राह है !

                           

                आग  लगन  की  पहुंचा  ही देती  है  मंजिल  तक 
                मंजिल को विश्रामागार बना दें तो 
                जीवन एक यात्रा  है 
                रुके तो मौत निश्चित .
                हर पल को महसूस करना  ही 
                मानवता है .
                बस पर तोल मन और उड़ चल .
                तेरी उडान तूझे 
                देगी आनंद .
                अनंत आकाश तूझे पुकारता .