धनी है वो
जिसके पास स्वाभिमान है
जिसने स्व को मार दिया वह हो गया निर्धन
आत्मसंतोष देता है
दुनिया से विदा लेते वक्त सकून.
ग्लानि तड़पाती है
आत्मिक सुख से बढ़ कर कुछ नहीं
भौतिक सुख देता है ईर्ष्या .
बांध धन गठरी में
किस सोंच में तू मन .
तू भी बन धनी.
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