तीन बेटियों और दो बेटों की मां
मर्द निकम्मा
अपना दुःख बोलते बोलते उस कामवाली की आँखें भींज गईं
गांव में घर है खेत है भाई अनाज खाता है
मुझे नहीं देता.........
चेतना दुख देती है ।
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तीन बेटियों और दो बेटों की मां
मर्द निकम्मा
अपना दुःख बोलते बोलते उस कामवाली की आँखें भींज गईं
गांव में घर है खेत है भाई अनाज खाता है
मुझे नहीं देता.........
चेतना दुख देती है ।
लौट के आई अपने पुराने शहर में
पुरानी सड़कों पर पुराने परिचित याद आते हैं
फर्राटे से वे स्कूटर पर गुजर जाते हैं
अस्पताल के कॉरिडोर में मां चलती दिखती है
कैबिन में सोए पिता दिखते हैं
कॉलेज यूनिफॉर्म में साइकिल चला कर लौटते आकृतियों में
मैं खुद को पाती हूं
मन करता है छोड़ दूं शहर
यूं लगता है
कब्र से जीवित हो उठे हैं लोग ।
पूरा मैदान बांसों अंटा था
मजदूर खोल रहे थे टेंट खोल रहे थे
जूठे पत्तल पड़े थे
सफाई कर्मचारी झाड़ू ले के लगे थे
सफाई में
सड़क पर दुर्गंध फैल रही थी
चलना मुश्किल था
और
मुझे
पूजा के समय की खुशी , रौनक , भीड़ और दर्शकों को अनुशासित करते
हाथ में लाल हरी बत्ती लिए
पुलिसगण याद आए
दुर्गा पूजा खत्म हो चुकी थी ।
घड़ा
घड़ा फूट गया सुबह सुबह ।
अब घड़ा खरीदना था ।
कभी घड़ा हनुमान वाटिका के पास मिलता था पर अब नहीं। किसी ने बताया छेंद वेजीटेबल मार्केट में मिलता है ।
वैसे मुझे पता है सुराही गमला ओल्ड राउरकेला के एक दुकान में मिलता है ।
दुर्गा पूजा चल रही थी । विजय दशमी बीती । चार दिन से एक घड़े से काम चल रहा था । दो घड़ा रहाे से लगातार ठंडा पानी मिलता है ।
खुशियां के दशमी के दो दिन बीतेन पर निकली घड़े के दुकान की खोज करने ।
घड़े की दुकान बंद थी । पास के गन्ने के रस के ठेलेवाला ने बताया कि दुकान दो दिन बाद खुलेगी ।
अब बहंगी में पास के गांववाले तो बेचना बहुत साल हुए घर घर जा कर बेचना बंद कर दिए ।
हार कर मैं ओल्ड राउरकेला की ओर बढ़ी । वहां बरसों से एक दुकान है जहां मिट्टी के छठे बड़े गुल्लक , सुराही , गमले और घड़े बिकते मैने देखा था । अब घड़ा साल भर बिकता है कि नहीं पता नहीं।
घड़ा खरीदने की जरूरत का जुनून था । आखिर ठंडा पानी पीना था मुझे । फ्रिज का पानी थोड़े न कोई पीता है ।
पहुंच ही गई गमले की दुकान पर । वहां एक घड़ा मुझे दिख गया ।
दाम पूछने पर दुकानदार ने एक सौ पचास बताया ।
मैने पूछा - घड़ा फूटा तो नहीं है न ।
नहीं आंटी। फूटा नहीं है ।- दुकानदार ने कहा ।
इसी बीच किसी दूसरे सज्जन को भी घड़े की जरूरत पड़ गई ।
उसने भी घड़े का दाम पूछा । पर उसे घड़े का दाम ज्यादा लगा ।
उस सज्जन को लगा कि एक ही घड़ा है । दुकानदार ने समझाया मेरी दुकान की डबलछत्ती में घड़ा भरा है । फिर भी ग्राहक चला गया ।
मैं तो घड़ा के मिलने पर इतनी प्रसन्न थी मानो मुझे कारु का खजाना मिल गया।
पोटली में सिमटे मित्र को कोई लेने न आया
परेशान था मन
एक दिन मैं भी तो पोटली में समा जाऊंगा
बैंक का अकाउंट तो खाली हो जाएगा
पर मैं भी पोटली में पड़ा रह जाऊंगा
मेरे इस विचार पर
हंस दी बुद्धि ।
सीख कर बड़ी हुई वह
पढ़ लो
मुसीबत में काम आयेगा
उसने सोचा
मुसीबत में काम आने वाले विषय को क्यों पढ़ूं
क्या मैं मुसीबत के आने का सपना संजोऊं
उसका मन पढ़ाई से उचट गया
किस्मत ने खेल खेला
मुसीबत आई
कम डिग्री में छोटे काम कर के कामना पड़ा उसे
अपनी बेटियों को उसने मर्द की तरह कमाने की नसीहत दी
बेटियां
घर की तलाश में भटकती रहीं
खटती रहीं
अपना पेट भरती रहीं
घुटती रहीं।