- इन्दु बाला सिंह
ऐसा न जाने क्यों होता है
कि पुराने चित्रों का अपना चेहरा
अपना ही नहीं लगता ........
ढूंढता है मन
अपना खोया सपना
न जाने किस पल सो गया मेरा सपना |
My 3rd of 7 blogs, i.e. अनुभवों के पंछी, कहानियों का पेड़, ek chouthayee akash, बोलते चित्र, Beyond Clouds, Sansmaran, Indu's World.