गुरुवार, 30 अगस्त 2018

भींगता अस्तित्व

-इदु बाला सिंह


कमरे में मन भींज जाता है ...बिन पानी के
न जाने कैसे.....
कोई प्रश्न नहीं
कोई उत्कंठा नहीं ....
शायद मन की बर्फीली सिल्ली
भींजेपन का अहसास दिलाती है ।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें