सोमवार, 13 अगस्त 2018

आखिरी दांव

-इंदु बाला सिंह

आखिरी दांव भी क्या भावना है !

आदमी इस पार या उस पार हो जाता है

बस तख्ता पलट जाता है

बांझ क्या जाने पीर जनने की ।

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