- इंदु बाला सिंह
स्कूल
हमउम्रों का जमावड़ा ....
दोपहर का भोजनालय है ....
पहचान है .....
शान है ......
क्या होगा पढ़ कर
हिस्ट्री जाग्रफी .....
नॉकरी तो मिलती नहीं ....
मॉरल साइंस फेल मार जाता है समाज में ...
विज्ञान मुंह ताकता रह जाता है ....
भला
इतनी हताशा क्यों ? .....
मैं ही मैं क्यों ? .....
दोषारोपण कर मुक्तिलाभ क्यों ?
इतना नकारात्मक भाव !
स्कूल
हमउम्रों का जमावड़ा ....
दोपहर का भोजनालय है ....
पहचान है .....
शान है ......
क्या होगा पढ़ कर
हिस्ट्री जाग्रफी .....
नॉकरी तो मिलती नहीं ....
मॉरल साइंस फेल मार जाता है समाज में ...
विज्ञान मुंह ताकता रह जाता है ....
भला
इतनी हताशा क्यों ? .....
मैं ही मैं क्यों ? .....
दोषारोपण कर मुक्तिलाभ क्यों ?
इतना नकारात्मक भाव !