शुक्रवार, 24 मार्च 2017

गर्मी


- इंदु बाला सिंह

गर्मी चढ़ने से 
दुनिया मुट्ठी में लगती है
मन में बादशाहत छा जाती है
पैर जमीं पर नहीं रहते ... मुंह से विष बुझे तीर छूटते हैं
अपनी ऐसी अजूबी कृति को देख ...ईश्वर भी हैरत में पड़ जाता है ।

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