- इंदु बाला सिंह
अपने बच्चे को खिलाते खिलाते उसने भी दो कौर मुंह में डाल लिया
अब सबके अंत में खाना मिले तो क्या दुःख ......
और
तरसती रही .... भूखी रही जेठानी ... उसका ब्याह हुये दस बरस बीत चुके थे ..... वह अब तक निःसंतान थी ।
अब सबके अंत में खाना मिले तो क्या दुःख ......
और
तरसती रही .... भूखी रही जेठानी ... उसका ब्याह हुये दस बरस बीत चुके थे ..... वह अब तक निःसंतान थी ।
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