शनिवार, 10 दिसंबर 2016

मनचाहा सांचे में ढल तू


Saturday, December 10, 2016
9:32 PM

- इंदु  बाला सिंह 


क्रोध बचा कर रखना
पालना
और समय पर पलीता सुलगना 
जिन्दगी एक राकेट है ...... निकल जायेगी वह भी दलदल से एक दिन
छू लेगी तू भी अपना आसमान
ओ री ! नसीब की मारी ....
आकाश में तू ही लिखेगी अपना नाम .....
ढाल ले न तू अपनी मिट्टी  ..... अपने मनचाहे सांचे में |

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