Saturday,
November 05, 2016
10:16 PM
- इंदु बाला सिंह
सुन मेरी बात
ओ
पैसा !
तेरा
अभाव सरल बुद्धिमान को मुर्ख बनाता
देख सगे का हश्र चतुर आदमी तुझे पाने को सौ हथकंडे अपनाता |
ओ पैसा !
तू तो शराब से
ज्यादा जहरीला .... नशीला
जेब में
पहुंचते ही .... तू तो सारे रिश्ते भुलाता
तभी तो .... अम्मा तुझे बैंक में रख निश्चिन्त सोती |
मै बावरी
सदा मौन खड़ी
देखती रहती
तेरी
....बदलती चाल |
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