सोमवार, 24 दिसंबर 2018

सपने बारम्बार जन्मते हैं ।

-इंदु बाला सिंह


हर साल सुनामी आती है

गुजर जाते हैं बहुत से अरमान ...

फिरअंकुरित होते हैं सपने

यूं लगता है मन धरती बन गया है ।



रविवार, 9 दिसंबर 2018

दूसरा जीवन युद्ध छिड़ा

- इंदु बाला सिंह

लो छिड़ा दूसरा जीवन युद्ध

चले हम ....

आज न संग कोई

हुये उन्मुक्त हम ....

बांध चले कमर में

आज तो कफ़न हम ...

छिड़ा युद्ध स्वाभिमान का .. मान का

लो बटोर चले हम तो यादों के लम्हे ....

जहां रात कटी वहीं बसा घर

हर भोर सामने नया मैदान था ...

हम तो  बनजारे हो चले