बुधवार, 8 नवंबर 2017

मति का फेर


- इंदु बाला सिंह

लाख रोको तुम ... रुकेंगा नहीं वो 
बंधेगा न अब वो तेरे प्रेम में
कहीं कमी तूझमें ही रही होगी ...
मन की आस सुला दे तू ...लौटेंगा नहीं अब वो ......
खुश रह तू
पंख उग गये हैं उसके ।

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