Thursday,
November 09, 2017
10:14 AM
-इंदु बाला सिंह
तीस वर्ष का
हो गया
प्राइवेट
नौकरी में पक गया
सुबह पांच
बजे निकल रात दस बजे अपने किराये के कमरे में लौट जीता रहा
मेरे
सहपाठी गहनों से लदी पत्नी , मकान का
मालिक और अपने बच्चों के पिता बन गये
मुझे
हर वर्ष सरकारी नौकरी का इम्तिहान निराश
करता रहा
मैं
अपने मकान में बसने के सपने देखता रहा ......
मेरे दहेज न
लेने के जुनून ने मुझे क्वांरा रख दिया |
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