- इंदु बाला सिंह
पैसे ने ढहा दी ....दीवारें रिश्तों की
चलो निहंग हैं ....तो क्या .... आजाद तो हैं
कल की कल सोंचेंगे ...
वैसे दुश्मनों के कस्बे में .... बड़ा मजा आता है ...
चलने में ... चलते रहने में ।
चलो निहंग हैं ....तो क्या .... आजाद तो हैं
कल की कल सोंचेंगे ...
वैसे दुश्मनों के कस्बे में .... बड़ा मजा आता है ...
चलने में ... चलते रहने में ।
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