शुक्रवार, 26 सितंबर 2025

मैं लेखक बनूंगी ।


 

 

 

नौकरी करने की मंजूरी नहीं मिलेगी

 

उसे ससुराल में

 

मैके में लोग नसीहत देते थे

 

उसने सोचा

 

कोई बात नहीं  वह लेखिका बन जाएगी

 

खाली समय में कहानियां या उपन्यास लिखेगी

 

यह भी तो एक जरिया है कमाने का ......

 

घर में आर्थिक अभाव था

 

खाने की चिंता थी

 

कर्जों का बोझ था

 

दिमाग कलाबाजियां खा रहा था

 

जीवनसाथी घर छोड़ कर चला गया

 

हाड़ तोड़ परिश्रम कर रही थी कमाने के लिए ...

 

जीवन

 

स्वयं एक उपन्यास बन गया

 

पर

 

वह लेखक न बन सकी ।

 

 

उस बावरी को ज्ञान न था

 

लेखन भरे पेट के संग चलता है .......

 

जीवन संध्या आ गई

 

हसरत से देखती रह गई वह

 

अपने बचपन के स्वप्न को

 

जो उसके संग मिटने वाला था एक दिन ।

 

 

शनिवार, 20 सितंबर 2025

पोटली में टिका इंसान


 

 

पोटली में सिमटे मित्र को कोई लेने न आया

 

परेशान था मन

 

एक दिन मैं भी तो पोटली में  समा जाऊंगा

 

बैंक का अकाउंट तो खाली हो जाएगा

 

पर मै भी पोटली में पड़ा रह जाऊंगा

 

मेरे इस विचार पर 

हंस दी बुद्धि ।

शुक्रवार, 12 सितंबर 2025

बेटी

 

 

 

 

सीख कर बड़ी हुई वह

 

पढ़ लो

 

मुसीबत में काम आयेगा

 

उसने सोचा

 

मुसीबत में काम आने वाले विषय को क्यों पढ़ूं

 

क्या मैं मुसीबत के आने का सपना संजोऊं

 

उसका मन पढ़ाई से उचट गया

 

किस्मत ने खेल खेला

 

मुसीबत आई

 

कम डिग्री में छोटे काम कर के कामना पड़ा उसे

 

अपनी बेटियों को उसने मर्द की तरह कमाने की नसीहत दी

 

बेटियां

 

घर की तलाश में भटकती रहीं 

 

खटती रहीं

 

अपना पेट भरती रहीं

 

घुटती रहीं।

मंगलवार, 2 सितंबर 2025

पत्नी

 

 

पत्नी

 

 

मैं

 

उसकी पत्नी हो कर

 

प्रजा होती तो अच्छा होता

 

कम से कम अपना हक खोने का अफसोस न होता ।