बुधवार, 20 अगस्त 2025

पूरा आकाश मेरा है


 

 

आज बंबई में

 

कॉलोनी की औरतें

 

दिख रहीं हैं शाम से देर रात तक पार्क में

 

छोटे टी शर्ट हों

 

या

 

लॉन्ग कमीज

 

निकर हो

 

या

 

ट्राउजर्स 

 

 शाम के सात बजे हों या रात के ग्यारह बजे हों  

 

 जब समय मिले घुमातीं हैं अपने बच्चे .......

 

 जिनके बच्चे बड़े हो चुके है

 

वे औरतें भी

 

खुद सेहत बनाती है........

 

रात ग्यारह बजे उनकी शाम ही है

 

आत्मविश्वास से भरी ये औरतें

 

जीतीं हैं अपना जीव

 

बच्चियां हों या बड़ी औरतें हों

 

उनका आत्मविश्वास

 

मेरे पंखों को मजबूत करता है

 

मैं भी वाकिंग करती रहती हू

 

उन युवा औरतों को दे

 

मैं भी युवा बन जाती हू

 

 यूं लगता है

 

मैं इस समयमं सत्तर वर्षीया नहीं हू

 

युवा हू

 

आज

 

मै जी रही हूं आजाद जिंदगी

 

मेरा आकाश आधा नहीं

 

पूरा का पूरा मेरा है ।

बेटा तो पिता का है

 

 

 

देख के ब्याहना बिटिया

 

कितना भी सुलझावो बेटे की समस्या

 

बेटा सदा सहानुभूति रखेगा अपने पिता के प्रति

 

भले ही पिताें लाख अवगुण हों

 

वो नहीं दिखेगा उसके बेटे को ......

 

बेटा कभी मां का साथ नहीं देगा

 

बेटे को तो पितानना है एक दिन

 

मां उसके लिये ऐसी सेविका है

 

जो बूढ़ी होने पर बोझन जाती है एक