- इंदु बाला सिंह
शाम हो गई है
लोग अपने घर लौट रहे हैं
पर मैं लौट रही हूं अपना सिर छुपाने की जगह में ....
रात जितना गहरायेगी
उतना ही मधुर तान निकलेगा कण्ठ से
उस कहानीवाली चिड़िया की तरह ...
" मैं सबसे धनी .....मैं सबसे धनी ... "
आखिर मेरे सिर पर छत है ....
मैं नसीबोंवाली हूँ ।